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Friday, 5 September 2014

बदलते रंग

कभी विरानो मे भी महफिल लगती थी,

अब महफिलों में भी पूछता न कोई।

शमां जलती है तो सलाम करता  हर कोई,

बुझते चिरागों को पूछता ना कोई।

सितारा बुलन्दियों पर है जहां, दुनिया झुकती वहाँ,

डूबते सूरज को पूछता न कोई।

अपने चेहरों से परदा हटाता न कोई,

दुनिया को आईना दिखाता हर कोई।

साहिल पर बैठ तमाशा देखता हर कोई,

सन्दीप डूबते को हाथ देता न कोई।

Thursday, 4 September 2014

हर शहर एक सा हो गया




क्या बडा क्या छोटा,


हर शहर एक सा हो गया


कही वर्दी कही बिन वर्दी,


हर चौक पर चोर है खडा,


क्या बडा क्या छोटा,


हर शहर एक सा हो गया।


हर गली कुचे हर मोहल्ले मे,


बहु बेटी  से खिलवाड हो रहा,


क्या बडा क्या छोटा,


हर शहर एक सा हो गया।


महंगाई ने कमर तोड दी,


गरीब बेबस जिन्दगी कोस रहा,


क्या बडा क्या छोटा,


हर शहर एक सा हो गया।


माया की चकाचौंध मे ,


इंसान कंही खो गया,


वो जो रास्ता दिखाए,


वो धुव्र कंही खो गया,


क्या बडा क्या छोटा,


हर शहर एक सा हो गया



Wednesday, 3 September 2014

सुब्ह




सुब्ह कितनी हसीन है,


घर से निकलने का फरमान जारी हो गया।


सुब्ह फिर भी हसीन है।


सुब्ह से शाम तक


सडको पर दौडते अरमान,


उंचाईयो को छुते,


गहराईयों को नापते अरमान,


शाम ढले घर को आते अरमान,


सुब्ह के इंतजार मे,


सुबह फिर  भी हसीन है।




Monday, 1 September 2014

Thought of you

You were always near,

But never with me,

You were always there,

But never for me.

When I wanted to cry,

You cold shouldered me.

When I wanted to share happiness,

You made mockery of me.

When I wanted to be  in silence,

You shouted at me.

When I needed you most,

You left me.

May be some compulsions,

Made you so.

But my love for you,

Always made me thought of you.