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Thursday 4 September 2014

हर शहर एक सा हो गया




क्या बडा क्या छोटा,


हर शहर एक सा हो गया


कही वर्दी कही बिन वर्दी,


हर चौक पर चोर है खडा,


क्या बडा क्या छोटा,


हर शहर एक सा हो गया।


हर गली कुचे हर मोहल्ले मे,


बहु बेटी  से खिलवाड हो रहा,


क्या बडा क्या छोटा,


हर शहर एक सा हो गया।


महंगाई ने कमर तोड दी,


गरीब बेबस जिन्दगी कोस रहा,


क्या बडा क्या छोटा,


हर शहर एक सा हो गया।


माया की चकाचौंध मे ,


इंसान कंही खो गया,


वो जो रास्ता दिखाए,


वो धुव्र कंही खो गया,


क्या बडा क्या छोटा,


हर शहर एक सा हो गया



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