भावहीन स्वभाव अभाव दर्शाता है,
जो चलती रहे तो गंगा,खडी रहे तो नाला कहलाती है।
एक सा रहता नही समय, हरपल दुसरा होता है,
जो बीत गया वो आता नही,चार दिन की चॉदनी होती है,
सूरज भी सिरफ़ दिन मे रोशनी देता ,रातो को वो भी चमकता नही,पर अंधेरा भी सदा रहता नही,
चलना बदलना प्रकृति का नियम है,जो न बदले वो भाव नही स्वभाव
उजाले को नही पता अन्धकार क्या होता
,क्युकि जहाँ उजाला होता है
वहाँ अन्धकार कभी होता ही नही।
भाव बदलेगें अगर स्वाभाव को रोशन करोगे।
कुसंगं कुविचार र्दुगति को न्योता देते है ,सुसंगं सुविचार सोच को रौशन करते है,
फ़िर चाहे हार हो या जीत,मंजिले मिल ही जाती है।
मंजिल की राह मे जो साथ दे उनको कभी न भुलो,
क्युकि सफ़र मे साथ मिले तो मंजिल दुर नर्ही लगती,
जिन्दगी एक सफ़र ही तो है,रूकना मोत चलते रहना जिन्दगी है,,
पानी भी खडा रहे तो मटमैला हो जाता है ,
गति प्रकृति का नियम है।
पर दिशाहीन अगर गति होगी,तो विनाश को बुलावा देगी।
अपने स्वभाव को दिशा,विचारों को गति दोगे तो मंजिल अपने पास पाओगे।
आकाश को छुना है तो धरती का मोह त्यागना होगा।
बादल भी ऊचाईयों पर जा कर बरसता है,
जो धरती पर आए तो बाढ़ ,अम्बरो से आए तो बरसात होती है।
बुलबुलो से प्यास नही भुजती,होसलो मे बुलन्दिया हो तो मंजिल पास लग़ती है।
ख्वाब और हकीकत मे यही अन्तर है,एक मे दर्शक तो एक मे खुद पातृ होते हो,
इसका गम न करो की कुछ मिला नही,
दुख इसका हो की कुछ किया नही।
अपनी गल्ती का अहसास होग़ा तो कथनीकरनी मे अन्तर न होगा।