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Sunday, 17 July 2016

गुरु जी मुझे राम मिला दो

गुरु जी मुझे राम मिला दो,

मन में मेरे जोत जगा दो।

किश्ती जो मेरी भटकी है

माया मे जो अटकी है

गुरु जी मुझे राह दिखा दो

मंजिल मुझे मिला दो

मै डुबा मै खोया

तनहा खूब मै रोया हूँ

बरसों की उदासी मिटा दी

अंखियों की प्यास बुझा दो।

 गुरु जी मुझे राम मिला दो,

मन में मेरे जोत जगा दो।

धुआं धुआं सी आग हुई

मुठी भर राख हुई 

सच्चे झुठे थे जो सपने

बिखरे बिछडे सारे अपने

बंधनो की बंदिश मिटा दो

गुरु जी मुझे राम मिला दो,

मन में मेरे जोत जगा दो।

जीवन के इस उपवन मे

गुनाहों की ताप मिटा दो

निश्चल प्रेम की सरिता बहा

शब्द का सार बता दो

गुरु जी मुझे राम मिला दो,

मन में मेरे जोत जगा दो।

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