Search This Blog

Wednesday, 3 September 2014

सुब्ह




सुब्ह कितनी हसीन है,


घर से निकलने का फरमान जारी हो गया।


सुब्ह फिर भी हसीन है।


सुब्ह से शाम तक


सडको पर दौडते अरमान,


उंचाईयो को छुते,


गहराईयों को नापते अरमान,


शाम ढले घर को आते अरमान,


सुब्ह के इंतजार मे,


सुबह फिर  भी हसीन है।




No comments:

Post a Comment