इतराती फिर थी जिस जवानी पर,
वो जवानी ना रही,
तुझ मे वो बात ना रही।
वो जिन के लिए तु सब कुछ थी,
संगी साथी सब मशगुल हुए।
अब किसी के पास तेरे लिए समा न रहा।
इतराती फिर थी जिस जवानी पर,
वो जवानी ना रही,
तुझ मे अब वो बात ना रही।
ढल चुका दिन,हो चुकी शाम,
अब वो उजाले ना रहे।
इतराती फिर थी जिस जवानी पर,
वो जवानी ना रही,
तुझ मे वो बात ना रही।
कंपकंपाते होठं, डगमगाती चाल,
आखों मे वो नमी ना रही।
इतराती फिर थी जिस जवानी पर,
वो जवानी ना रही,
तुझ मे वो बात ना रही।
वो चाहतें, ख्वाहिशें और बंदिशें,
सब वक्त की आग मे राख हुई,
सिवा धुँए के इस आग मे,
बात ना रही।
इतराती फिर थी जिस जवानी पर,
वो जवानी ना रही,
तुझ मे अब वो बात ना रही।
वो जवानी ना रही,
तुझ मे वो बात ना रही।
वो जिन के लिए तु सब कुछ थी,
संगी साथी सब मशगुल हुए।
अब किसी के पास तेरे लिए समा न रहा।
इतराती फिर थी जिस जवानी पर,
वो जवानी ना रही,
तुझ मे अब वो बात ना रही।
ढल चुका दिन,हो चुकी शाम,
अब वो उजाले ना रहे।
इतराती फिर थी जिस जवानी पर,
वो जवानी ना रही,
तुझ मे वो बात ना रही।
कंपकंपाते होठं, डगमगाती चाल,
आखों मे वो नमी ना रही।
इतराती फिर थी जिस जवानी पर,
वो जवानी ना रही,
तुझ मे वो बात ना रही।
वो चाहतें, ख्वाहिशें और बंदिशें,
सब वक्त की आग मे राख हुई,
सिवा धुँए के इस आग मे,
बात ना रही।
इतराती फिर थी जिस जवानी पर,
वो जवानी ना रही,
तुझ मे अब वो बात ना रही।
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