आज भी अगर,
नारी गाडी चलाती,
नजर आए तो,
कई अविचलित विचारधारे,
घुरती नजर आती है।
नारी और गाडी,
सभ्य असभ्य के बीच,
अविचलित विचारधारे हिचकोले खाती,
नजर आती,
नारी और गाडी।
नारी गाडी चलाती,
नजर आए तो,
कई अविचलित विचारधारे,
घुरती नजर आती है।
नारी और गाडी,
सभ्य असभ्य के बीच,
अविचलित विचारधारे हिचकोले खाती,
नजर आती,
नारी और गाडी।
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