इक दिन जहां मे आना हुआ,
इक दिन जहां से जाना हुआ।
जहा से आए,वही लौट जाना हुआ,
अफसाना युहीं तमाम हुआ।
रोते जग मे आना हुआ,
रोते जग मे छोड जाना हुआ।
कही आमद तो कही मातम हुआ
जिंदगी और मौत का हर पल मेल हुआ।
आने का जाना हुआ,
जाने का कभी वापस आना ना हुआ।
फिर ना जाने क्यु,
इस आकार मे विकार का आना हुआ,
नफरतों का दिल मे बसाना हुआ।
भुलना प्यार का हुआ,
भुलाना ना नफरत को हुआ।
संदीप समझ मे यह ना आना हुआ,
बिछडे तो फिर कभी मेल दोबारा ना हुआ।
इक दिन जहां से जाना हुआ।
जहा से आए,वही लौट जाना हुआ,
अफसाना युहीं तमाम हुआ।
रोते जग मे आना हुआ,
रोते जग मे छोड जाना हुआ।
कही आमद तो कही मातम हुआ
जिंदगी और मौत का हर पल मेल हुआ।
आने का जाना हुआ,
जाने का कभी वापस आना ना हुआ।
फिर ना जाने क्यु,
इस आकार मे विकार का आना हुआ,
नफरतों का दिल मे बसाना हुआ।
भुलना प्यार का हुआ,
भुलाना ना नफरत को हुआ।
संदीप समझ मे यह ना आना हुआ,
बिछडे तो फिर कभी मेल दोबारा ना हुआ।
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