रात ने चाँद से कहा,
क्यु चाँदनी मुझे,
शीतलता सब को देता है।
चाँद ने कहा,
चाँदनी स्वभाव है मेरा,
शीतलता भाव है मेरा,
वो जो चंदा मामा कहते है,
वो जो दाग मुझ मे ढुंढते है,
मै सब को शीतलता देता हू,
जहाँ हो अभाव,
वहीं चांदनी कर देता हू,
रात और चाँद एक ताल है,
गोद मे लिए रात थपथपाती है,
चाँद लोरी सुनाता है,
रातें तो चॉदनी एक सी होती है,
कोई दाग ढूंढता रहता है,
कोई सपने संजोये,
पूजा के फूल अर्पित करता है,
किसी को चाँद नजर आता है,
किसी को अन्धकार,
रातें तो चाँदनी एक सी होती है।
क्यु चाँदनी मुझे,
शीतलता सब को देता है।
चाँद ने कहा,
चाँदनी स्वभाव है मेरा,
शीतलता भाव है मेरा,
वो जो चंदा मामा कहते है,
वो जो दाग मुझ मे ढुंढते है,
मै सब को शीतलता देता हू,
जहाँ हो अभाव,
वहीं चांदनी कर देता हू,
रात और चाँद एक ताल है,
गोद मे लिए रात थपथपाती है,
चाँद लोरी सुनाता है,
रातें तो चॉदनी एक सी होती है,
कोई दाग ढूंढता रहता है,
कोई सपने संजोये,
पूजा के फूल अर्पित करता है,
किसी को चाँद नजर आता है,
किसी को अन्धकार,
रातें तो चाँदनी एक सी होती है।
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