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Sunday 19 October 2014

यथार्थ




चिंगारी अगर भडके तो बुझा डालो,

वरना तो नफरत की आग ने,

शहर ही राख कर डाले।

बीज वैसै ही बीजो, जैसी फसल चाहते हो,

बबूल के पेड पर आम लगते किसी ने ना देखे।

सोच अच्छी हो,

पर जो सोचो करगुजरो,

नही तो गुजरे वक्त को याद कर खुद को कोसते रह जाओगे।

वक्त  रहते दिल मे जो  है कह डालो,

नहीं तो रहते वक्त तक मलाल रह जाएगा।

मंजिल की तलाश में घर से निकलो तो,

अम्बरो को छुने की चाह रखते हो तो,

धरती का मोह त्यागना पडेगा।

समय गतिशील है,

किसी के लिए नहीं रुकता,

परिवर्तन कुदरत का नियम है,

नियम निर्धारित कर,

उनके की पालना करो।

समय का सदुपयोग,

समय का आदर है।

आज को कल की झोली मे मत डालो,

कल को आज की नींव मे सीचो,

यथार्थ मे जीओ,

क्यु जो अगला पल हो या न हो।








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