धीरे धीरे गिनती बढती गई,
सासें काम होती गई।
वो सोया मुख मोड गया,
तन को पीछे छोड गया।
वो गया वो गया।
तन से जिन को प्यार था,
वो ही आग दे चले।
नामोनिशान राख मे बदल चले,
वो गये वो जला वो जला।
इस पर भी बस न हुई,
गंगा मे बहा गये,
वो बहा वो गये वो गये।
बाद इस के तसवीर बन दीवार से लटकाया गया,
चंद फुलो की माला से सजाया गया,
धुल का परदा कर सजदा किया,
बस ईसी तरह बाद उसके उसे याद किया।
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