जब तुम बुढी हो जाओगी,
और
नींद तुम से कोसों दुर होगी,
चेहरे पर झुर्रियां होगीं,
और
बाल सफेद होंगे,
मुहँ में दांत न होंगे,
और
आंखो मे अंधेरे होगें,
उस वक्त,
जब सर्दियों की बर्फीली रात होगी,
याद तुम्हारें पास होगी ,
तो ,
याद करना,
उन दिनों को जब तुम जवां थी,
हसीन कन्या थी ,
आखों में उजाले थे,
और चाहने वाले हजारों थे,
पर,
तब भी एक था,
जो,
तुम्हे चाहता था,
तुम्हारे चेहरे की बदलती रेखाओं में,
खुद को तलाश था
और
नींद तुम से कोसों दुर होगी,
चेहरे पर झुर्रियां होगीं,
और
बाल सफेद होंगे,
मुहँ में दांत न होंगे,
और
आंखो मे अंधेरे होगें,
उस वक्त,
जब सर्दियों की बर्फीली रात होगी,
याद तुम्हारें पास होगी ,
तो ,
याद करना,
उन दिनों को जब तुम जवां थी,
हसीन कन्या थी ,
आखों में उजाले थे,
और चाहने वाले हजारों थे,
पर,
तब भी एक था,
जो,
तुम्हे चाहता था,
तुम्हारे चेहरे की बदलती रेखाओं में,
खुद को तलाश था
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