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Sunday 24 August 2014

चाहत

         जब तुम बुढी हो जाओगी,


और


नींद तुम से कोसों दुर होगी,


चेहरे पर झुर्रियां होगीं,


और


बाल सफेद होंगे,


मुहँ में दांत न होंगे,


और


आंखो मे अंधेरे होगें,


उस वक्त,


जब सर्दियों की बर्फीली रात होगी,


याद   तुम्हारें पास होगी ,


तो ,


याद करना,


उन  दिनों को जब तुम  जवां  थी,


हसीन  कन्या थी ,


आखों में उजाले थे,


और चाहने  वाले हजारों थे,


पर,


तब भी एक था,


जो,


तुम्हे चाहता था,


तुम्हारे  चेहरे की बदलती रेखाओं  में,


खुद  को तलाश था

   

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