आओ कुछ खास करे
हाथों में ले हाथ
मीलों खामोश चले।
अहसास कुछ होने कुछ पाने का,
खामोशियों का श्रंगार कर
बातें बेहिसाब करे।
आओ कुछ खास करे।
धूप छाँव
कुछ तेरी कुछ मेरी
आसमां की तपिश पर
बारिशों की फुहार करे
आओ कुछ खास करे।
पल जो हरपल बदलता
पल पल जीया करें
वक्त की धुंध से सन
अक्स इक दूसरे का देख
आईना साफ किया करें।
आओ कुछ खास करे।
उधार की खुशियों में
कब तक खुद को जलाए गे
सदा महके जो
शमां वो रोशन करें
आओ कुछ खास करे।
गुजरी जैसे भी गुजर गई
गिनती की सासें जो बची
हर साँस वो जीया करे
आओ कुछ खास करे।
Sandeep khosla
www.ownmyviews.blogspot.com
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