काले से सफेद बाल हो गए,
माथे की रेखाएं भी साफ दिखने लगी।
तु से आप हो गया,
बच्चों के लिए मै अंकल हो गया।
जिंदगी की दौड मे,
आटे दाल की तोल मोल मे,
बीवी की खिच खिच,
बच्चों की चिक चिक मे ,
नींद भी अहसान हो गई,
जाने कब इस बीच मै,
मै से अंकल हो गया।
आईना मुझको रोज दिखा,,
पापा पापा कहते बच्चे बढे होने लगे।
रंग कपडो मे मेरे भर,
बाल काले करने को कहने लगे,
अंकल वो भी देखा करो,
बनठन के पापा रहा करो।
यु मुझको कहने लगे,
जाने कब,इस बीच,
मोहल्ले के बच्चे मुझको अंकल कहने लगे।
उमर बीती पता तब चला,
कदम लडखडाए,
तो छोटे से बच्चे ने आ कर कहा,
अंकल सडक पार करा दू,
हाथ थामो मेरा।
सच जान कर जी रहा हूँ,
अंकुश भावनाओं पर लगा,
खुद को अंकल कहला रहा हूँ।
अठखेलियां करते बीती जवानी, बुढापे का लुत्फ उठाने चला हु,
शौक से अंकल कहलाने लगा हु।
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