मां की लोरी सुन,
जब कोई बच्चा सोता है,
आशा के दामन में,
जब कोई फुल खिलता है,
कविता जन्म लेती,
मन को भाती है।
बारिश भी जब,
छम छम आती है,
पतो से छन छन,
कर धुप जब धरती को चुमती है,
कविता जन्म लेती,
मन को भाती है।
चंदा की चॉदनी मे,
जब रात नहाती है,
सूरज की पहली किरण,
जब राह दिखाती है,
कविता जन्म लेती,
मन को भाती है।
मिलन को तरसी बुद॔ को,
जब सीप मिल जाती है,
आचमन को तरसे होठो की ,
प्यास जब जग जाती है,
कविता जन्म लेती,
मन को भाती है।
शब्दो की सरिता,
जहां निशब्द बहती है,
भावनाओं की तरंगे,
उफान पर होती है,
कविता जन्म लेती,
मन को भाती है।
जब कोई बच्चा सोता है,
आशा के दामन में,
जब कोई फुल खिलता है,
कविता जन्म लेती,
मन को भाती है।
बारिश भी जब,
छम छम आती है,
पतो से छन छन,
कर धुप जब धरती को चुमती है,
कविता जन्म लेती,
मन को भाती है।
चंदा की चॉदनी मे,
जब रात नहाती है,
सूरज की पहली किरण,
जब राह दिखाती है,
कविता जन्म लेती,
मन को भाती है।
मिलन को तरसी बुद॔ को,
जब सीप मिल जाती है,
आचमन को तरसे होठो की ,
प्यास जब जग जाती है,
कविता जन्म लेती,
मन को भाती है।
शब्दो की सरिता,
जहां निशब्द बहती है,
भावनाओं की तरंगे,
उफान पर होती है,
कविता जन्म लेती,
मन को भाती है।
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