बस कर हिसाब मागना मेरे ग़ुनाहो का करार मागना
जा कर वापस न आए वो बुरा वक्त टल गया,
ज़खम जो वक्त से भर गए,कुरेद कर नासुर ना बना,
जवाब हिसाब माग कर ,रिश्तो को व्यापार ना बना,
बस कर बस कर हिसाब मागना,
एक सी रहती नही आड़ी तिरछी लकीरें ,
वक्त से तकदीरे बदल जाती है,
वक्त की धुल निशाँ मिटा देगी,
सबर् कर ,आने वाली सुब्ह हसीन होगी
, इकरार तकरार तो होती रहेगी
,जीवन ईसी का नाम है,
मजिंले मिले हो यातरा सुखद,
मगलंमय कामना से हिसाब चुका रहा हू,
बस ईस तरह तेरे सवाल का जवाब दे रहा हू।
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